परमेश्वर का मुहर लगाने का कार्य
निकट भविष्य में, बाइबल की भविष्यवाणी के अनुसार पृथ्वी पर एक बड़ी विपत्ति आ पड़ेगी। वह दिन आने से पहले, हम विपत्ति से कैसे बच सकते हैं? एकमात्र मार्ग परमेश्वर की मुहर प्राप्त करना है।
तब, आइए हम देखें कि मुहर लगाने का कार्य कब शुरू होता है।
इसके बाद मैंने पृथ्वी के चारों कोनों पर चार स्वर्ग दूत खड़े देखे। वे पृथ्वी की चारों हवाओं को था मे हुए थे ता कि पृथ्वी या समुद्र या किसी पेड़ पर हवा न चले। फिर मैंने एक और स्वर्ग दूत को जीवते परमेश्वर की मुहर लिए हुए पूरब से ऊपर की ओर आते देखा; उसने उन चारों स्वर्गदूतों से जिन्हें पृथ्वी और समुद्र की हानि करने का अधि कार दिया गया था, ऊंचे शब्द से पुकारकर कहा, “जब तक हम अपने परमेश्वर के दासों के माथे पर मुहर न लगा दें, तब तक पृथ्वी और समुद्र और पेड़ों को हानि न पहुंचाना।”
प्रक 7:1–3
बाइबल में, हवा युद्ध को दर्शाती है, तो पृथ्वी की चारों हवाओं का मतलब है सभी दिशाओं से बहती हवा, यानी, विश्व युद्ध।
तब चार स्वर्गदूतों ने किस विश्व युद्ध को थाम लिया? हमें जानना चाहिए कि चारों हवाओं को थाम लेने से पहले क्या हुआ था। जब हम प्रकाशितवाक्य 6:13 देखते हैं, यह लिखा गया है कि “चारों हवाओं को थाम लेने से पहले आकाश के तारे पृथ्वी पर ऐसे गिर पड़े जैसे बड़ी आंधी से हिलकर अंजीर के पेड़ में से कच्चे फल झड़ते हैं।” जैसे कि आप जानते हैं कि आकाश के तारे और अंजीर का पेड़ इस्राएलियों को दर्शाते हैं(उत 15:5; लूक 13:6)। इसलिए, “आकाश के तारे पृथ्वी पर ऐसे गिर पड़े जैसे बड़ी आंधी से हिलकर अंजीर के पेड़ में से कच्चे फल झड़ते हैं,” का अर्थ है कि एक महान युद्ध में बहुत से इस्राएली मारे गए थे। इसलिए चारों हवाएं जिन्हें चारों स्वर्गदूतों ने थाम लिया है, द्वितीय विश्व युद्ध थीं।
तब, मुहर लगाने का कार्य कब शुरू हुआ? वह द्वितीय विश्व युद्ध के बाद था। इसलिए परमेश्वर का मुहर लगाने का कार्य 1945 के बाद शुरू हुआ।
तब, परमेश्वर ने अपने लोगों पर मुहर लगाने का कार्य कहां से शुरू किया ?
… जीवते परमेश्वर की मुहर लिए हुए पूरब से ऊपर की ओर आते देखा।
प्रक 7:2
वह पूरब से आया। प्रेरित यूहन्ना ने पतमुस द्वीप पर यह प्रकाशन देखा था। इसलिए, परमेश्वर का मुहर लगाने का कार्य पतमुस द्वीप से पूर्व के देश में शुरू हुआ।
हम फसह के द्वारा परमेश्वर की मुहर प्राप्त कर सकते हैं
तब परमेश्वर की मुहर क्या है?
नाशवान् भोजन के लिए परिश्रम न करो, परन्तु उस भोजन के लिए जो अनन्त जीवन तक ठहरता है, जिसे मनुष्य का पुत्र तुम्हें देगा; क्योंकि पिता अर्थात् परमेश्वर ने उसी पर छाप लगाई है।
यूह 6:27
परमेश्वर ने यीशु पर छाप लगाई है। तब हम परमेश्वर की मुहर कैसे प्राप्त कर सकते हैं? चूंकि परमेश्वर ने यीशु पर अपनी मुहर लगाई, अगर हम यीशु के साथ एक देह बन जाते हैं, तो हम भी यीशु के माध्यम से परमेश्वर की मुहर प्राप्त कर सकते हैं। फिर, हम यीशु के साथ एक देह कैसे बन सकते हैं?
यीशु ने उनसे कहा, “मैं तुम से सच सच कहता हूं कि जब तक तुम मनुष्य के पुत्र का मांस न खाओ, और उसका लहू न पीओ, तुम में जीवन नहीं। जो मेरा मांस खाता और मेरा लहू पीता है, अनन्त जीवन उसी का है; और मैं उसे अंतिम दिन फिर जिला उठाऊंगा।”
यूह 6:53–56
वह जो यीशु के मांस को खाता है और उनका लहू पीता है वह यीशु में रहता है और यीशु उसके अंदर रहते हैं, यानी वह यीशु के साथ एक देह बन जाता है। दूसरे शब्दों में, यदि हम यीशु का मांस खाते हैं और उनका लहू पीते हैं, तो हम परमेश्वर की मुहर प्राप्त करते हैं।
हम यीशु का मांस कैसे खा सकते हैं और यीशु का लहू कैसे पी सकते हैं?
अख़मीरी रोटी के पर्व के पहले दिन, चेले यीशु के पास आकर पूछने लगे, “तू कहां चाहता है कि हम तेरे लिए फसह खाने की तैयारी करें?”… जब वे खा रहे थे तो यीशु ने रोटी ली, और आशीष मांगकर तोड़ी, और चेलों को देकर कहा, “लो, खाओ; यह मेरी देह है।” फिर उसने कटोरा लेकर धन्यवाद किया, और उन्हें देकर कहा, “तुम सब इसमें से पीओ, क्योंकि यह वाचा का मेरा वह लहू है, जो बहुतों के लिए पापों की क्षमा के निमित्त बहाया जाता है।”
मत 26:17–19, 26–28
यीशु ने कहा कि फसह की रोटी “मेरी देह” है, और फसह का दाखमधु “मेरा लहू” है। फसह वह सत्य है जिसके द्वारा हम यीशु का मांस और लहू प्राप्त करते हैं और यीशु के साथ एक देह बन सकते हैं जिन पर परमेश्वर ने अपनी मुहर लगाई, और परमेश्वर की मुहर प्राप्त करते हैं।
परमेश्वर की मुहर जिसके द्वारा हम विपत्ति से बच सकते हैं
हमें क्यों परमेश्वर की मुहर प्राप्त करनी चाहिए? वह विपत्ति से बचने और उद्धार पाने के लिए है।
इसके बाद मैंने पृथ्वी के चारों कोनों पर चार स्वर्ग दूत खड़े देखे। वे पृथ्वी की चारों हवाओं को थामे हुए थे ताकि पृथ्वी या समुद्र या किसी पेड़ पर हवा न चले। फिर मैंने एक और स्वर्गदूत को जीवते परमेश्वर की मुहर लिए हुए पूरब से ऊपर की ओर आते देखा; उसने उन चारों स्वर्गदूतों से जिन्हें पृथ्वी और समुद्र की हानि करने का अधिकार दिया गया था, ऊंचे शब्द से पुकारकर कहा, “जब तक हम अपने परमेश्वर के दासों के माथे पर मुहर न लगा दें, तब तक पृथ्वी और समुद्र और पेड़ों को हानि न पहुंचाना।”
प्रक 7:1–3
जब चारों हवाएं पृथ्वी पर चलें, तब उन पर हानि पहुंचाई जाएगी जिनके पास परमेश्वर की मुहर नहीं है। इसलिए प्रकाशितवाक्य अध्याय 7 में मुहर विपत्ति से बचने की मुहर है।
निर्गमन के समय का फसह
क्या सच में विपत्ति हमारे पास से पार हो जाती है जब हम फसह मनाते हैं?
और जिन घरों में तुम रहोगे उन पर वह लहू तुम्हारे लिए चिन्ह ठहरेगा; अर्थात् मैं उस लहू को देखकर तुम को छोड़ जाऊंगा, और जब मैं मिस्र देश के लोगों को मारूंगा, तब वह विपत्ति तुम पर न पड़ेगी और तुम नष्ट न होगे।
निर्ग 12:13
जब मिस्र पर सभी पहिलौठों को मारे जाने की बड़ी विपत्ति आई, इस्राएल के घर विपत्ति से बच पाए जिन्होंने फसह मनाया था। “फसह” नाम का अर्थ ही “विपत्ति से पार होना” है। इसलिए फसह परमेश्वर की मुहर है जो विपत्ति से निश्चित रूप से हमारी रक्षा करती है।
हिजकिय्याह के समय का फसह
परमेश्वर ने वादा किया था कि जब लोग फसह मनाते हैं तो परमेश्वर विपत्तियों को उनके पास से पार होने देंगे। इसके बारे में, कुछ लोग कहते हैं कि वह सिर्फ निर्गमन के समय के लिए लागू होता है। फसह का वादा किसी भी युग में लागू होता है।
फिर हिजकिय्याह ने सारे इस्राएल और यहूदा में कहला भेजा, और एप्रैम और मनश्शे के पास इस आशय के पत्र लिख भेजे, कि तुम यरूशलेम को यहोवा के भवन में इस्राएल के परमेश्वर यहोवा के लिए फसह मनाने को आओ… इस प्रकार हरकारे एप्रैम और मनश्शे के देशों में नगर नगर होते हुए जबूलून तक गए; परन्तु उन्होंने उनकी हंसी की, और उन्हें ठट्ठों में उड़ाया।
2इत 30:1, 10
उस समय, इस्राएल दो राज्य में बांटा गया था : दक्षिण यहूदा एवं उत्तर इस्राएल। दक्षिण यहूदा का राजा हिजकिय्याह था। एप्रैम, मनश्शे और जबूलून उत्तर इस्राएल के क्षेत्र हैं। इस तरह उत्तर इस्राएलियों ने फसह मनाने से इनकार किया, और दक्षिण यहूदा ने फसह मनाया जिस पर राजा हिजकिय्याह शासन करता था। कुछ समय के बाद, शक्तिशाली राष्ट्र अश्शूर ने इन दोनों राज्यों पर आक्रमण किया। क्या आप जानते हैं कि उनका क्या हुआ?
अश्शूर के राजा शल्मनेसेर ने सामरिया पर चढ़ाई करके उसे घेर लिया… इसका कारण यह था कि उन्होंने अपने परमेश्वर यहोवा की बात न मानी, वरन् उसकी वाचा को तोड़ा, और जितनी आज्ञाएं यहोवा के दास मूसा ने दी थीं उनको टाल दिया और न उनको सुना और न उनके अनुसार किया।
2रा 18:9–10, 12
सामरिया उत्तर इस्राएल की राजधानी था। इस तरह, उत्तर इस्राएल जिसने फसह का उल्लंघन किया, अश्शूर के द्वारा नष्ट किया गया। तब दक्षिण यहूदा का क्या हुआ जिसने फसह मनाया?
“और यहूदा के घराने के बचे हुए लोग फिर जड़ पकड़ेंगे, और फलेंगे भी… और मैं अपने निमित्त और अपने दास दाऊद के निमि त्त इस नगर की रक्षा करके इसे बचाऊंगा।” उसी रात में क्या हुआ कि यहोवा के दूत ने निकलकर अश्शूरियों की छावनी में एक लाख पचासी हजार पुरुषों को मारा, और भोर को जब लोग उठे, तब देखा, कि शव ही शव पड़े हैं।
2रा 19:30–35
दक्षिण यहूदा को विपत्ति से क्यों बचाया गया? ऐसा इसलिए था क्योंकि दक्षिण यहूदा ने उत्तर इस्राएल के विपरीत फसह मनाया था। अपने वादे के अनुसार, परमेश्वर ने विपत्तियों को उनके पास से पार होने दिया।
जितनी बातें पहले से लिखी गईं, वे हमारी ही शिक्षा के लिए लिखी गर्इं हैं
जितनी बातें पहले से लिखी गईं, वे हमारी ही शिक्षा के लिए लिखी गईं हैं…
रो 15:4
अतीत के इतिहास से हमें क्या सीखना चाहिए जहां लोग जब कभी फसह मनाते, तब वे विपत्तियों से बच निकले? यह दिखाता है कि केवल वे जो फसह मनाते हैं, अंतिम विपत्ति से बचाए जाएंगे।
फसह परमेश्वर की मुहर है जिसके द्वारा हम अंतिम विपत्ति से बच सकते हैं। आइए हम विश्वास करें कि फसह परमेश्वर की मुहर है, और आइए हम फसह मनाएं और अंतिम विपत्ति से बचाए जाएं।
Passover = Seal of God, Escape Disaster, Forgiveness of Sin, Eternal Life.
Thanks Father and Mother 🎎💞